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बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के अवसर पर 9 जून को आदिवासी विमेंस नेटवर्क (AWN) और वीमेन एंड जेंडर रिसोर्स सेंटर (WGRC) द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन

बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के अवसर पर दिनांक 9 जून को आदिवासी विमेंस नेटवर्क (AWN) और वीमेन एंड जेंडर रिसोर्स सेंटर (WGRC) द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन हुआ। यह परिचर्चा ऑनलाइन जूम मीटिंग के माध्यम से हुआ जिसका विषय था आदिवासी लोकनीति के भविष्य पर: चिंतन और आगे का रास्ता। साथ ही TAC (झारखंड जनजातीय सलाहकार परिषद) नियम, 2021 के नफा और नुकसान एवं आगे के रास्तों पर भी चर्चा हुई। इस परिचर्चा में वंदना टेटे, रश्मि कात्यायन, मंथन और बिनीत मुंडू जैसे समाज सेवी और कानून के ज्ञाताओं ने पैनल डिस्कशन की बागडोर संभाली। चर्चा के दौरान वंदना टेटे ने महिला क्रांतिकारियों की संघर्षगाथा के बारे में विस्तृत तौर पे अपने अनुभव साझा किए। वहीँ मंथन ने झारखण्ड जनजातीय सलाहकार परिषद, 2021 में किए गए संशोधन पर जानकारी साझा किया। रश्मि कात्यायन ने TAC में किए गए संशोधन से लेकर PESA में आदिवासी हितों के लिए दिए गए क़ानूनों और उनपर कितना हमारी सरकार काम कर रही है, इस पर अपनी बातों को रखा। साथ ही बिनीत मुंडू ने Tribal Philosophy पर बाते रखी और साथ में ये भी बोला की व्यवसाईकरण का आदिवासी संस्कृति पर गंभीर असर हो रहा है। वहीँ परिचर्चा का संचालन आदिवासी विमेंस नेटवर्क की संस्थापक एलीना होरो ने किया। कार्यक्रम में झारखंड तथा अन्य राज्यों से विभिन्न समाज सेवियों तथा युवा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस परिचर्चा को एक अच्छी शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है। वर्तमान संदर्भ में आदिवासियों के अधिकार कितने सुरक्षित और संरक्षित हैं? और राज्य एवं केंद्र सरकारें आदिवासियों के लिए कितनी सजग है ? ये एक लम्बी चर्चा का विषय है। और इन सब पर समझ बनाने में यह परिचर्चा एक छोटा परन्तु जरुरी कदम है। हुल जोहार

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